Tripur sundari sadhana त्रिपुर सुंदरी साधना – रोग नाश और यौवनता के लिए

Tripur sundari sadhana त्रिपुर सुंदरी साधना - रोग नाश और यौवनता के लिए
Tripur sundari sadhana त्रिपुर सुंदरी साधना – रोग नाश और यौवनता के लिए

tripur sundari sadhana त्रिपुर सुंदरी साधना – रोग नाश और यौवनता के लिए – नमस्कार दोस्तों जय महाकाल जय माता श्मशानी। आज के पोस्ट  में मैं सभी रोगों का नाश करने वाली त्रिपुर सुंदरी माता की साधना दे रहा हूं और उसका सरल अति सरल विधि विधान उसका बता रहा हूं मैं। जिस विधान कर सकता है परंतु इस  विधान  जो विशेष मंत्र दे रहा हूं उसे मंत्र के प्रभाव से अवश्य ही हमारी हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है।

त्रिपुर सुंदरी साधना – के मुख्य लाभ

मुख्य तौर से देखिए इस साधना को रोगों नाश के लिए किया जाता है मतलब किसी भी प्रकार का आपको रोग है या बीमारी है ये कमजोरी है जो कुछ भी है तो यह सारे रोग जो है इस साधना से जो है समाप्त हो जाएगी आपकी।

 सबसे बड़ा लाभ तो यह होता है की हर प्रकार के रोग का नाश हो जाता है मतलब सर हर प्रकार के रोग जो है हमारे खत्म हो जाते हैं। और दूसरा जो लाभ साधना का है वह यह है की हमारी यौवनता जो है वह हमेशा बने रहती है। 

 हमेशा हमारी यौवनता बने रहती चाहे उम्र कितनी भी आगे क्यों ना बन जाए लेकिन हमेशा में हमारी यौवनता हमारी शक्ति हम मानसिकता शारीरिक शक्तियां हमारे हमेशा बने रहती है  एक जैसी। तो यह तो मुख्य कारण है वजह जिस वजह से इस साधना को किया जाता है मुख्य लाभ में । 

त्रिपुर सुंदरी साधना की विधि

 

अब साधना को विधान बता दे रहा हूं। वैसे अभी गुप्त नवरात्रि चल रहा है नवरात्रि में आप साधना कर सकते हैं बिल्कुल कर सकते हैं बहुत अच्छा समय चल रहा है। ऐसे समय में ये साधना बहुत ही जल्द होती है और बहुत ही ज्यादा लाभदायक भी होती है। इसके अलावा इस साधना को आप किसी भी सोमवार के दिन से भी शुरू कर सकते हैं किसी भी सोमवार के दिन से।

त्रिपुर सुंदरी साधना की  तैयारी और स्थापना

 

तब साधना विधि में बता दे रहा हूं। साधना विधि देखिए इस प्रकार से हैं दिशा आपकी पूर्व रहेगी चौकी लगानी है उसके ऊपर पीले रंग का नया एक वस्त्र बिछाना है आपको और आपको जो है एक घी का एक दीपक लगाना है अपनी तरफ मुख करके एक बाती वाला और उसके सामने जो है थोड़ा सा अक्षत आपको चाहिए चावल चाहिए बिना टूटे हुए। 

ऐसे अक्षत को आपको 16 हिस्से में रखना है तो 16 से मैं कैसे रखोगे मतलब एक लाइन में आप उसे चावल को चार हिस्सा करोगे चार हिस्सा करोगे इस प्रकार से चार लाइन आप बनाओगे तो आपका 16 जो है 16 चावल के ढेर जो है वह बन जाएंगे अलग-अलग।

 ढेरो के ऊपर स्थापित करेंगे कच्ची हल्दी की जो टुकड़े आते हैं चल जो मिलती है उसके अब को छोटे-छोटे टुकड़े कर लेने हैं मतलब एक आधी उंगली से भी कम मतलब ऐसे टुकड़े एक टुकड़ा मतलब बिल्कुल छोटा करना है। 

तो ऐसा एक छोटा एक टुकड़ा मतलब एक हिस्से में आप एक टुकड़ा रखेंगे इस प्रकार से सोलह सोलह सोलह जो हिस्सा आपने बनाया है चावल का तो उसमें 16 स्थान पर 16 आप हल्दी का जो कच्चे हल्दी का 16 टुकड़ा करके 16 जगह में आप स्थापित करेंगे।

त्रिपुर सुंदरी साधना  विधि  – मंत्र जाप और पूजा 

 

इसके पक्ष आप जो है थोड़ा सा चुटकी मतलब माता का जो मंत्र होता है वह  मंत्र पहले बता देता हूं वह मंत्र आपका इस प्रकार से हैं ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः। तो इस मंत्र को बोलते हुए एक बार बोलोगे तो थोड़ा सा दूर्वा कुमकुम जो है कुमकुम स्टार ने जो है कुमकुम का इस्तेमाल करिए इसमें से दूर का मत करिए कुमकुम का इस्तेमाल करें वो ज्यादा अच्छा रहेगा थोड़ा सा कुमकुम उसपे छोड़ देना।

 इस प्रकार से 16 बरस मंत्र को बढ़ते हुए सोलह स्थान पर आपको इसका कुमकुम को थोड़ा सा छोड़ देना। यह पवित्रीकरण का मैं मंत्र दे चुका हूं उसको पवित्रीकरण के मंत्र से अपने में उसे अपने हाथों में जल लेकर उसे मंत्र के द्वारा पवित्रीकरण अपना कर लीजिए।

 पूर्ण इत्यादि पवित्र स्थिति में साधना करनी है। भोग में देखिए आप मिष्ठान्न या मीठी कोई भी वस्तु के इत्यादि अब भोग में अपने अनुसार लगा सकते हैं या फल भी लगा सकते हैं कोई फल अप लगा सकते हैं दो प्रकार का फल लगा लिए बहुत। तो इस प्रकार से यह साधना होगी। अब इसमें कुछ पुष्प अर्पित कर दें आसन को कुछ लाल पुष्पों से या पीले पुष्पों से अब सजा ले।

त्रिपुर सुंदरी साधना  में जाप का क्रम और समय

 

 इस साधना को जो सबसे पहले तो देखिए इसमें जो है आपका जो बैठने का आसन होगा वह लाल होगा ठीक है माता का जो आसन होगा वो पीला होगा दिशा आपकी पूर्व होगी। इसमें जो है सबसे पहले गणेश जी के किसी भी मंत्र का आपको 108 बार पाठ कर लेना है।

 इसमें वैसे माला विशेष मायने नहीं रखता आप किसी भी माला से कर सकते हैं ऐसा कोई बंधन नहीं है। तो 108 बार गणेश जी के मंत्र का पाठ कर ले यह आपके गुरु है तो सबसे पहले तो गुरु मंत्र का 108 बार पाठ कर ले उसके बाद गणेश जी के मंत्र का 108 बार पाठ कर ले उसका शिव मंत्र का 108 बार पाठ कर ले शिव के किसी भी मंत्र का। 

उसके बाद श्री माता का जो मंत्र मैंने दिया है ॐ श्रीं त्रिपुर सुंदरी नमो नमः त्रिपुर सुंदरी माता का जो मंत्र दिया है मैंने उसे मंत्र का आपको 11 माला पाठ करना है। 

समय क्या रहेगा समय आपका यह सुबह का समय भी हो सकता है सुबह 9:00 से लेकर शाम 5:00 बजे के बीच में या फिर शाम 6:00 बजे से लेकर मतलब संध्या से लेकर के रात 9:00 बजे के बीच में यह साधना सुबह या शाम के समय आप कर सकते हैं इस समय के अंदर का वो करनी है।

 

त्रिपुर सुंदरी साधना की अवधि और समापन

 

 11 माला त्रिपुर सुंदरी माता का जो मंत्र दिया उसे 11 माला आपको पाठ करना है। अगर आपको जैसे थोड़ी बहुत समस्या है मतलब थोड़ी बहुत बीमारी मतलब थोड़ी बहुत अगर समस्याएं हैं आपको तो आप मात्रा तीन दिन साधना करेंगे मात्रा तीन दिन की अप्रत्यक्ष साधना होगी यह आप करेंगे। 

उसके पक्ष सारी सामग्री भोग इत्यादि जो चढ़ता है वह एक साधना हो जाने की पक्ष एक घंटे बाद उसको स्वयं ग्रहण कर लेना है ठीक है। और इसके अलावा जो सामग्री बचती है 3 दिन की साधना में तो उसे सामग्री को आपको बहते हुए जल में विसर्जित कर देना है किसी भी जल में नदी तालाब तो कर इत्यादि में मतलब बहते हुए जल में भी शरीर कर देना है।

 जिसको कम समस्या है उसके लिए और उसको बहुत ज्यादा समस्या है बहुत ज्यादा रोग है बहुत ज्यादा समस्या है उसको यह साधना कम से कम 9 दिन तो करनी चाहिए। 

9 दिन करने से हर प्रकार की बड़ी से बड़ी बीमारी भी अगर होगी समस्याएं होगी तो वो समस्या दूर हो जाएगी और ये यौवनता की भी प्राप्ति होगी साथ में दोनों चीज होगी। तो उसके बाद फिर इन सब चीजों को अब विसर्जित कर दीजिए 9 दिनों के बाद साधना होने के बाद।